भारत और न्यूजीलैंड वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल मैच से क्या सीख मिलती हैं?

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भारत और न्यूजीलैंड वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल मैच से क्या सीख मिलती हैं?

भारत और न्यूजीलैंड की सेमीफाइनल से भी बहुत सी बातें सीखी जा सकती हैं। दोस्तों जैसा की आपको पता होगा कि कही न कही भारत ने मैच में कुछ गलतियां करी जिसके कारण भारत को न्यूज़ीलैंड से मैच हारना पड़ा लेकिन अभी भी बहोत से लोग यह बोल रहे हैं कि "एक दिन" वाला थ्योरी ने इस मैच को भारत से छीन कर न्यूज़ीलैंड के हाथ में डाल दिया।
    दोस्तों, क्या आप जानते हैं कि एक दिन वाला थ्योरी को सिर्फ कुछ हद तक ही सही माना जा सकता हैं। 

    इस मैच से हमें यह सिख मिली कि अगर हम लगातार जीत रहें हैं या सफलता पा रहे हैं तो हमको अपने अंदर की कमी न के बराबर दिखती हैं। और ऐसा हुआ भी हैं क्योंकि भारत लगातार मैच जीत रहा था और उसमें कॉन्फिडेंस से ज्यादा ओवर कॉन्फिडेंस था जिसके कारण ऐसी नौबत आई।

    अगर आप लगातार पास हो रहे हो तो आप उन सब्जेक्ट पर ध्यान नहीं देते हो जिसमें आप फैल होते होते बचे हो। 

    एक उदाहरण से समझते हैं।

    एक विद्यार्थी था जो कि 9 वी गणित में पहली दो परीक्षा में फेल हो जाता हैं और आखिर की परीक्षा जो कि फाइनल परीक्षा होती हैं उसमें किस्मत के भरोसे पास हो जाता हैं। जिसके बाद उसे एहसास होता हैं अब तो पास हो गया लेकिन 10वीं में ऐसा नहीं चलेगा।

    जब वह 10वीं कक्षा की पढ़ाई शुरू करता हैं तो वह शुरू से ही मैथ जो कि उसका सबसे कमजोर सब्जेक्ट था उसे टारगेट करता हैं। और फिर यह अपने प्लान से अनुसार हर रोज़ मैथ के प्रश्नों का अभ्यास करता हैं। 

    ऐसा वह हर रोज़ करता रहा और साथ ही साथ दूसरे भी सब्जेक्ट को वो पढ़ता रहा और इससे उसे दो फायदे हुए एक तो उसकी यादाश्त काफी बढ़ गयी और साथ ही साथ उसको मैथ में मज़ा आने लगा मतलब पढ़ने में मज़ा आने लगा जिसका सीधा सा मतलब हैं कि अब वह समय की बर्बादी कम करता था और पढ़ाई को ज्यादा समय देता था। 

    जिसके कारण वो 10वीं की परीक्षा अच्छे अंको के साथ उतीर्ण हो गया।

    आगे कुछ ऐसा हुआ..

    दोस्तों अब वह 11वीं में विज्ञान विषय के साथ पढ़ाई शुरू करता हैं। लेकिन अब वो पढ़ाई को उतना समय नहीं देता हैं क्योंकि उसे लगा कि अभी अभी तो मैंने इतने अच्छे अंको से 10वीं पास की हैं तो मुझे अभी उतनी मेहनत करने की जरूरत नहीं हैं।

    देखते-देखते पूरा साल निकल जाता हैं और यह अब 11वीं में किसी तरह से पास होता हैं। फिर वही बात आती हैं और 12वी में वो फिर से मेहनत करता हैं और अब वो और भी अधिक प्लांनिग के साथ समय का सदुपयोग करते हुए अपनी पढ़ाई शुरू करता हैं। वो 12वीं के शुरुआत से ही कॉलेज के प्रोफेसर के साथ साथ रहने लगा, मतलब जैसे कॉलेज का प्रोफेसर का सिलेबस समाप्त होता वैसे ही उसका भी सिलेबस समाप्त हो जाता साथ ही साथ वो रिवीजन भी करता रहता और उसके इतने मेहनत के बाद वो एक बार फिर अच्छी रैंक के साथ 12 वीं में पास हो जाता हैं।

    क्या सीखा?

    तो इसमें हमने सीखा की अगर आप बिना फेल हुए आगे बढ़ रहे हैं तो यह कभी न कभी आपको नकारात्मक रूप से हिट जरूर करेगा और ऐसा ही हुआ भारतीय टीम के साथ वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में, अगर भारत सेमीफाइनल के पहले वाला मैच श्रीलंका से हारा रहता तो इसकी बहुत अधिक प्रायिकता होती कि भारत न्यूज़ीलैंड को सेमीफाइनल में हरा देता।

    क्योंकि यह बात साबित हो गयी हैं कि अगर आपको बड़े मैच के पहले एक झटका लगता हैं ओ इससे आपकी एक अलग ही ऊर्जा निकल कर आती हैं। आपको आपके अंदर की खामियां दिख जाती हैं और एक हद तक आप पूरी तैयारी के साथ खेलने के लिए उतरते हैं। 

    न्यूज़ीलैंड क्यों जीता?

    न्यूज़ीलैंड की #WC2019 की यात्रा काफी अच्छी रही लेकिन आखिर के लगातार 3 मैच न्यूज़ीलैंड हार गई जिसके बाद उनको पूरी ताकत से वापसी करनी थी और जब मैच आर या पार की हो तो बात ही कुछ और हैं।

    निष्कर्ष (Conclusion)

    दोस्तों आज हमने सीखा की अगर आप मेहनत में जरा सा भी ढील देंगे तो आपको इसका परिणाम जरूर मिलेगा लेकिन आपको इसके साथ साथ आपकी गलतियों पर भी ध्यान देते हुए आगे बढ़ना होगा। 

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